पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे ,
पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , जो बहुत ही पुरातन होने के कारण और सिन्दु हिन्दू संस्कृति के पहले से भी चले आने के कारन लोक धर्म ही मान जाता था जिस में समय समय पर कुछ बदलाव भी हुवे थे। मोठे तौर पर ऐसे शिव ने बनाया मान जाता है जिसे सिंधु संस्कृति ने बहुत आगे बढ़ाया , राम , कृष्णा , कबीर ने ऐसे जीवन में उतरा और कबीर ने अपनी वाणी बीजक में फिर एक बार सरल सब्दो में बताया।
इस हिंदुस्तानी , हिन्दू धर्म में जो केवल एक ही धर्म था न कोई भेदभाव था। पर विदेशी ब्राह्मण अपना वैदिक ब्राह्मण धर्म के साथ हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के बाद और सिन्दु - हिन्दू संस्कृति के तहस नहस करने के बाद उनका वैदिक ब्राह्मण धर्म केवल एक वर्ण - सवर्ण विदेशी ब्राह्मण मानते रहे। इस प्रकार, उस समय दो धर्म हिंदुस्तान में हुवे एक हिंदुस्तान के मूल हिंदुस्तानी लोगो का धर्म यानि हिन्दू धर्म और विदेशी वैदिक ब्रह्मिनो का वैदिक ब्राह्मण धर्म। वैदिक ब्राह्मण धर्म में वेद से जुड़े कार्य के कारन ऊंचनीच और भेदभाव की नीव पद चुकी थी और चतुर्वेदी , त्रिवेदी , द्विवेदी , वेदी , मिश्रा , उपाध्या , आदि जाती उसमे निर्माण हुवी थी। इस प्रकार उन विदेशी ब्रह्मिनो में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच उनके वैदिक ब्राह्मण धर्म का हिस्सा था। जनेऊ में और हावी , हव्य , गौ के मॉस के हिस्सेदारी में भी ऊंचनीच देखा जाता था। ब्राह्मण धर्म में केवल होम हवं , बलि , सोम रस , खुला सेक्स समभंद, रिस्तेदारी का आभाव देखा जाता है जब की हिंदुस्तान के मूल हिन्दू का हिन्दू धर्म पूरी तरह , विक्सित , सभ्य और सुसंकृत था जिस में न को भेद था न वेद , न जाती। यहाँ ध्यान या शिव विद्या जिसे बुद्धिस्ट विपश्यना कहते है को विकास हुवा था जिस से मनो धर्म और नैतिकता को धर्म मन जाता था ,
इस प्रकार उस समय दो धर्म हिन्दू धर्म और वैदिक ब्राह्मण धर्म दो अलग अलग सोच के कारन टकराते रहते थे। राम से समय तक , होम हवन को बंदी थी जिसे हिन्दू राजा सकती से पालन करते थे जिस के लिए सरकारी रक्षक ,या सिपाही भेजे जाते थे।
वैदिक ब्राह्मण धर्म यहाँ का जान जीवन , कृषि बर्बाद कर रहे थे और असमानता फैला रहे थे जिस कारन हिन्दू धर्म से ब्राह्मण धर्म के विरोध में जैन धर्म आउट बौद्ध धर्म का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया तो मध्य युग में हिन्दू से सिख धर्म , मनुभव पंथ , लिंगायत, वारकरी आदि का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया.
आज कुछ लोग हिन्दू से शिव धर्म और लिंगायत कोगो को लिंगायत धर्म बता रहे है , उस से कुछ नहीं होगा। छोट मोठे दसो धर्म भले ही हिन्दू धर्म से निकल पड़े , वैदिक ब्राह्मण धर्म को वो बाल बाक़ा भी नहीं कर सकते क्यों की लड़ाई वो नहीं देश और धर्म दोनों की है और वो है हिंदुस्तान , हिन्दू , हिन्दू धर्म विरुद्धा विदेशी ब्राह्मण और विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म।
या लड़ाई नेटिव रूल मूवमेंट चारो तरफ से लढा रही है। मूल भारतीय विचार मंच , नेटिव पीपल'स पार्टी , सत्य हिन्दू धर्म सभा , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी अपने काम में लगी हुवी है।
नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
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