Friday, 17 November 2017

भित्रे नेमाड़े ना नेटिविज़्म कळले नहीं

विदेशी  ब्रह्मिनांच्या वेदीक , भेदिक, जातीय ,अस्पृश्य - स्पृश्यास्पृश्य आदि ब्राह्मण धर्माच्या टकाऊ आणि तकलादु विचारांना समृद्ध अडगळ म्हणण्या इतके सत्य हिन्दू धर्मी मुर्ख नाहीत।  असे म्हणणे म्हणजे ,कर्क रोगाचे गांडूळ किती सुन्दर आणि प्रिय आहे असेच म्हणण्या सारखे आहे।  हे खरे नेटिविज़्म नव्हे  ते तर विदेशी ब्रह्मिनाना खुश करण्याचे काट कारस्थान होय  व् ब्रह्मिनी अधर्म ला मान्यता देणे होय।  नेटिव रूल मूवमेंट अश्या भित्र्य लोकना नेटिविस्ट मानत नहीं  , उलट आम्ही त्यांचा निषेद करतो।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट 

Monday, 13 November 2017

नेटीव्हीसम स्वतंत्र विचार सरणी :

नेटिव्हिसम नेटिव्ह हिंदुत्व एक स्वतंत्र विचार सरणि आहे , हा विचार नेटिविस्ट डी डी राऊत नि नेटिव्ह रुल  मोव्हमेन्ट च्या माध्यम तुन , मूळ भारतीय विचार मंच वर व नेटिव्ह पीपल'स पार्टी या राजकीय पक्षा करीत जवळ जवळ ४० वर्ष पासून मांडला आहे . या विचारात आंबेडकरवाद , गांधीवाद , मार्क्सवाद , समाजवाद आदी कोणत्याही विचार चा लवलेश हि नाही व त्या वर अवलंबून नाही . कुठलीही व्यक्ती शी हा नेटीव्हीसम हा विचार संबंधित नाही . या पूर्वी हा विचार कोणीही मांडला नाही , या विचारात केवळ नेटीव्हीसम हाच गुरु आहे व नेटिव्ह हिंदुत्व आमचे मार्गदर्शन आहे . आम्ही आमचे विचार मांडतो ,

ज्यांनी त्यांनी आप आप ले विचार मांडावे , लोकांना जे योग्य वाटतील ते ते घेणार . आम्ही ब्राह्मीनाना विदेशी मानतो , हिंदू धर्म व ब्राह्मण धर्म वेग वेगाडे आहेत असे आमचे मत आहे . वर्णवादी , जातीवाद ब्राह्मण धर्मात असून वर्ण , जाती , भेदभाव कबीरांनी सांगितलेल्या बीजक या सत्य हिंदू धर्मात नाही असे आमचे पक्के मत आहे , हिंदू कोण तर जो ब्राह्मण नाही असे आमचे म्हणणे आहे .हेच आमचे नेटिव्ह हिंदुत्व होय . आम्ही विदेशी ब्राह्मीना ना चालते वाह असे बजावून सांगू इच्छितो . ब्राह्मण सोडून इतर सर्व हिंदू आहेत असे आम्ही मानतो मग ते कुठल्याही धर्म चे असोत मात्र ते ब्राह्मण नसावे , ब्राह्मण धर्मी नसावे असे आम्ही सांगतो . हेच आमचे नेटिव्ह राष्र्टीयत्व होय . ब्राह्मण गेले कि वर्ण , जाती संपल्या मग जाती वर आधारित आरक्षण ची गरजच राहणार नाही असे आम्हाला वाटते . ३ टक्के विदेशी ब्राह्मीनानी जवळ जवळ ९० टक्के संपत्ती, जागा , पैसे , व्यापार , मालमत्ता , नौकरी वर कब्जा केला आहे त्या मुळे जो पर्यंत हे विदेशी ब्राह्मण जात नाही तो पर्यंत नेटिव्ह , आदिवासी , मूळ भारतीय , भूमी पुत्र ना न्याय मिळणार नाही असे आम्हाला निरक्षूं सांगावेसे वाटते .

आम्ही हो मूळ भारतीय विचार , मूळ भारतीय विचार मंच च्या माध्यमातून कल्याण येथे जवळ जवळ ३५-३७ वर्ष पूर्वी सार्वजनिक रित्या मंडल होता त्या मध्ये त्या वेळचे सर्व राजकीय पक्षाचे लॉग , सामाजिक कार्यकर्ते त्या वर्क शॉप ला हजार होते . पुढे हा विचार त्या लोकांनी आप आपले पक्ष व त्यांचे राजकीय विचाराशी जोडले मात्र नेटीव्हीसम हा विचार तास नाही . नेटीव्हीसम मध्ये, जाती , वर्ण , धर्म , भाषा , प्रांत नाही . विदेशी वसाहतवाद नाहीसा करणे व वर्ण , जाती वेवस्था नाहीशी करण्या साठी विदेशी ब्राह्मीनो ना देश बाहेर घालवणे , हिंदू धर्म , हिंदुस्थान , हिंदू ब्राह्मण धर्म पासून वेगळा असून तो ब्राह्मण धर्म विरोधी आहे हे सांगून त्याला प्रत्यक्ष जीवनात उतरविणे हे नेटीव्हीसम व नेटिव्ह हिंदुत्व होय जे इतर कोणत्याही विचारात व व्यक्ती वादात नाही .

आह्मी लोकांना नमस्कार म्हणा मानून सांगतो , जय हिंद बोला म्हणतो . हाच आमचा स्वदेशी स्वराज होय .

तूर्त एवढेच !

नेटिविस्ट .राऊत
नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट

Thursday, 2 November 2017

पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे ,


पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , जो बहुत ही पुरातन होने के कारण और सिन्दु हिन्दू संस्कृति के पहले से भी चले आने के कारन लोक धर्म ही मान जाता था जिस में समय समय पर कुछ बदलाव भी हुवे थे। मोठे तौर पर ऐसे शिव ने बनाया मान जाता है जिसे सिंधु संस्कृति ने बहुत आगे बढ़ाया , राम , कृष्णा , कबीर ने ऐसे जीवन में उतरा और कबीर ने अपनी वाणी बीजक में फिर एक बार सरल सब्दो में बताया।

इस हिंदुस्तानी , हिन्दू धर्म में जो केवल एक ही धर्म था न कोई भेदभाव था। पर विदेशी ब्राह्मण अपना वैदिक ब्राह्मण धर्म के साथ हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के बाद और सिन्दु - हिन्दू संस्कृति के तहस नहस करने के बाद उनका वैदिक ब्राह्मण धर्म केवल एक वर्ण - सवर्ण विदेशी ब्राह्मण मानते रहे। इस प्रकार, उस समय दो धर्म हिंदुस्तान में हुवे एक हिंदुस्तान के मूल हिंदुस्तानी लोगो का धर्म यानि हिन्दू धर्म और विदेशी वैदिक ब्रह्मिनो का वैदिक ब्राह्मण धर्म। वैदिक ब्राह्मण धर्म में वेद से जुड़े कार्य के कारन ऊंचनीच और भेदभाव की नीव पद चुकी थी और चतुर्वेदी , त्रिवेदी , द्विवेदी , वेदी , मिश्रा , उपाध्या , आदि जाती उसमे निर्माण हुवी थी। इस प्रकार उन विदेशी ब्रह्मिनो में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच उनके वैदिक ब्राह्मण धर्म का हिस्सा था। जनेऊ में और हावी , हव्य , गौ के मॉस के हिस्सेदारी में भी ऊंचनीच देखा जाता था। ब्राह्मण धर्म में केवल होम हवं , बलि , सोम रस , खुला सेक्स समभंद, रिस्तेदारी का आभाव देखा जाता है जब की हिंदुस्तान के मूल हिन्दू का हिन्दू धर्म पूरी तरह , विक्सित , सभ्य और सुसंकृत था जिस में न को भेद था न वेद , न जाती। यहाँ ध्यान या शिव विद्या जिसे बुद्धिस्ट विपश्यना कहते है को विकास हुवा था जिस से मनो धर्म और नैतिकता को धर्म मन जाता था ,

इस प्रकार उस समय दो धर्म हिन्दू धर्म और वैदिक ब्राह्मण धर्म दो अलग अलग सोच के कारन टकराते रहते थे। राम से समय तक , होम हवन को बंदी थी जिसे हिन्दू राजा सकती से पालन करते थे जिस के लिए सरकारी रक्षक ,या सिपाही भेजे जाते थे।

वैदिक ब्राह्मण धर्म यहाँ का जान जीवन , कृषि बर्बाद कर रहे थे और असमानता फैला रहे थे जिस कारन हिन्दू धर्म से ब्राह्मण धर्म के विरोध में जैन धर्म आउट बौद्ध धर्म का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया तो मध्य युग में हिन्दू से सिख धर्म , मनुभव पंथ , लिंगायत, वारकरी आदि का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया.

आज कुछ लोग हिन्दू से शिव धर्म और लिंगायत कोगो को लिंगायत धर्म बता रहे है , उस से कुछ नहीं होगा। छोट मोठे दसो धर्म भले ही हिन्दू धर्म से निकल पड़े , वैदिक ब्राह्मण धर्म को वो बाल बाक़ा भी नहीं कर सकते क्यों की लड़ाई वो नहीं देश और धर्म दोनों की है और वो है हिंदुस्तान , हिन्दू , हिन्दू धर्म विरुद्धा विदेशी ब्राह्मण और विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म।

या लड़ाई नेटिव रूल मूवमेंट चारो तरफ से लढा रही है। मूल भारतीय विचार मंच , नेटिव पीपल'स पार्टी , सत्य हिन्दू धर्म सभा , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी अपने काम में लगी हुवी है।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,

नेटिव रूल मूवमेंट