महाशिवरात्रि उपवास : विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म के वर्ण ,जाती , भेदभाव वाड़ी नीति , अधर्म के खिलाफ नेटिव हिन्दू धर्मी भगवान शिव और शिवगणोंका का प्रतिकारात्मक उपोषण :
आज महाशिवरात्रि है। पुरे हिंदुस्तान में और विश्व में हिन्दू लोग महाशिवरात्रि का पर्व मानते है। हम नेटिव हिन्दू भाई , बहनोको इस दिन की शुभेच्छा देते है।
इतिहास साक्षी है इसी दिन नेटिव हिन्दू धर्मी भगवन शिव विदेशी वैदिक धर्मी ब्राह्मण कन्या पार्वती के पिता के घर कैलाश से दूल्हा बनकर नंदी पर सवार को कर डमरू , शंख नाद , सींघ बजाते हुवे आपने नेटिव हिन्दू धर्म शिव गणो के साथ विविध आदिवासी शृंगार किये बैगाडी , पैदल एक दिन का प्रवास कर हजारो बाराती पार्वती के पिता पर्वतराज जो विदेशी ब्राह्मण वैदिक धर्म संस्थापक ब्रह्मा का रिस्तेदार और वैदिक ब्राह्मण धर्म के वर्ण, जाती, भेदभाव वादी विचार , नीति को माननेवाले थे उनके घर पारवती से शादी करने गए थे। शादी के लिए विदेशी ब्राह्मण कन्या पारवती ने हमारे नेटिव भगवन गणो के प्रमुख , गणाधीश शिव को अपने प्रेम में फसाया था। पारवती चाहती थी शिव उससे उसके पिता के घर बारात लेकर आये और उसके पिता इसकी शादी अन्य धर्मी अर्थात नेटिव हिन्दू शिव से कराये।
शिव इसी दिन अपनी बारात लेकर हजारो शिवगणों के साथ सज धज कर शादी के घर , पारवती के पिता के घर साम तक पुहचेथे , आदिवासी नेटिव हिन्दू धर्मी शिव की विविध रूप से जैसी सवरी बारात देख कर विदेशी ब्राह्मण वैदिक धर्मी परेशां हो गए। शिव खुद नाग वंशी होने के कारण अनेक विषधर भजंग से अलंकारित थे , सर पर चन्द्रकोर और गले में शिवमणि की माला हाथ में त्रिशुल , डमरू और सर्वांग पर भस्म लेप से शाम रंगी नेटिव शिव अद्भुत दिख रहे थे , शिव गणोके हाथो में त्रिशूल, तलवार , भाला , बरछी , लाठी को पीला धागा बंद घयमते हुवे , कसरत , दंडपट्ट , लाठी काठी खेल खेलते हुवे नेटिव हिन्दू धर्मी शिव गण ढोल , शिंग , डमरू शंख बजाते , सर पर सींग ताज , मोर मुकुट धारण कर पिले , नील , हरे , बाह्यरंगी वस्त्र आभूषण पहने सभी नर नारी , मस्ती ज़ूम ते हुवे बाराती पारवती के मइके पुँहचे थे।
इधर विदेशी वैदिक ब्रह्मिन धर्मी सभी ब्राह्मण वृन्द इस शादी से नाराज थे , घर में मातम छाया हुवा था। ना कोई तैयारी थी ना भोजन , पकवान पाक रहे थे। ना वैदिक रीति से शादी हुवी , ना आदर सत्कार , ना शादी भोज।
नेटिव भगवन शिव बहुत ही क्रोधित हुवे , बाराती और उनका अनादर , अपमान , घोर अपमान हुवा !
केवल विदेशी ब्राह्मण कन्या पार्वती को लेकर नेटिव भगवन शिव बिना भोजन , शिव गणो के साथ दूसरे दिन सबेरे कैलाश पुँहचे और फिर वहां विविध व्यंजन पकाये गए , रस्ते में भूके बालको ने , महिला केवल शकरकंद आदि , कन्द , मूल खाकर चलते रहे।
ये शादी नहीं नेटिव हिन्दू धर्मी आदिवासी का घोर अपमान था जिसे लोग कभी नहीं भूले जो आज भी यद् है और आज भी शिवरात्रि पर्व उपवास कर दूसरे दिन सबेरे छोडो जाता है। इस रात को नेटिव लोग जागरण करते है , चिंतन मनन करते है।
सबेरे शिव - पारवती की शादी नेटिव हिन्दू धर्म रीति से अंतरपट दूर कर और वधु - वर माला का आदान प्रदान कर सहज सरल नेटिव हिन्दू धर्म पद्धति से की गयी।
इस गैर ब्राह्मण , ब्राह्मण मिलाफ ने जहा बहुत सारी दोनों धर्म की पुराणी परम्परा तोड़ी है वही , इसी कारण आगे बहुत भीषण यद्ध हुवे। विदेशी ब्रह्मिनो ने शिव पारवती के इन वैवाहिक सामांधोंको कभी मान्य नहीं किया , और आगे जब विदेशी ब्राह्मण पारवती के पिता के यहाँ विदेशी वैदिक ब्रह्मिन धर्म का बड़ा यज्ञ आयोजन किया गया और उसमे पारवती के पति शिव को नहीं बुलाया गया तो पारवती बहुत दुखु हुवी वो अपने पिता से इस का जवाब मांगे मइके गयी , और पिता का जवाब सुन कर दिखी हो कर उसने होम हवं के अग्नी में कूद कर अपनी जान देदी। इसका पुत्र जो शिव - पारवती से नैसर्गिक रीति से सामान्य बालक पैदा हुवा उसे , हाथी मुखी, वक्र तुण्ड यानि आड़े मुँहवाला , बड़े पेटवाला , दांत बहार निकला , लाल काला आदि नाम देकर घृणा और अपमानित किया गया।
पारवती ने जो होम हवन के अग्नि में कूद कर आत्म हत्या की थी उसके कई जले हुवे अवशेष लेकर भगवन शिव ने पुरे हिंदुस्तान में अनेक जगह इसकी याद में स्त्री शक्ति पीठ बनवाये जिम पर लोग हजारो सालो से जा कर पूजा अर्चना करते है।
होम हवन पर बंदी लगा दी गयी और उन्हें नेस्तनाबूत करते रहे , शिव गणो ने ये काम रामायण काल तक निरंतर करते रहे इस के प्रमाण रामायण में मिलते है।
प्रेम इस मानवीय महान भावना को नाकरने वाले विदेशी ब्राह्मण धर्मी लोगो को सबक सिखाते हुवे अनेक ब्राह्मण स्त्रियों से नेटिव हिन्दू पुरुषोंसे हिन्दू पद्धति से शादी कराई गयी , ब्रह्मिनो से पुरुष लिंग और स्त्री योनि के प्रतिक स्वरुप बने शिवलिंग की पूजा कराई गयी जिस पर स्त्री - पुरुष और निर्मिति प्रतीक त्रि दल , बिल्व पत्र से पूजा कराई गयी स्त्री पुरुष समागम शांति के लिए निरंतर भाव से लिंग पिंड पर जल अभिषेक किया जाने लगा
देश में नेटिव हिन्दू धर्म जो जाती , वर्ण , भेदभाव रहित है
नेटिविस्ट डी डी राउत
प्रचारक ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा
#नेटिविज़्म
आज महाशिवरात्रि है। पुरे हिंदुस्तान में और विश्व में हिन्दू लोग महाशिवरात्रि का पर्व मानते है। हम नेटिव हिन्दू भाई , बहनोको इस दिन की शुभेच्छा देते है।
इतिहास साक्षी है इसी दिन नेटिव हिन्दू धर्मी भगवन शिव विदेशी वैदिक धर्मी ब्राह्मण कन्या पार्वती के पिता के घर कैलाश से दूल्हा बनकर नंदी पर सवार को कर डमरू , शंख नाद , सींघ बजाते हुवे आपने नेटिव हिन्दू धर्म शिव गणो के साथ विविध आदिवासी शृंगार किये बैगाडी , पैदल एक दिन का प्रवास कर हजारो बाराती पार्वती के पिता पर्वतराज जो विदेशी ब्राह्मण वैदिक धर्म संस्थापक ब्रह्मा का रिस्तेदार और वैदिक ब्राह्मण धर्म के वर्ण, जाती, भेदभाव वादी विचार , नीति को माननेवाले थे उनके घर पारवती से शादी करने गए थे। शादी के लिए विदेशी ब्राह्मण कन्या पारवती ने हमारे नेटिव भगवन गणो के प्रमुख , गणाधीश शिव को अपने प्रेम में फसाया था। पारवती चाहती थी शिव उससे उसके पिता के घर बारात लेकर आये और उसके पिता इसकी शादी अन्य धर्मी अर्थात नेटिव हिन्दू शिव से कराये।
शिव इसी दिन अपनी बारात लेकर हजारो शिवगणों के साथ सज धज कर शादी के घर , पारवती के पिता के घर साम तक पुहचेथे , आदिवासी नेटिव हिन्दू धर्मी शिव की विविध रूप से जैसी सवरी बारात देख कर विदेशी ब्राह्मण वैदिक धर्मी परेशां हो गए। शिव खुद नाग वंशी होने के कारण अनेक विषधर भजंग से अलंकारित थे , सर पर चन्द्रकोर और गले में शिवमणि की माला हाथ में त्रिशुल , डमरू और सर्वांग पर भस्म लेप से शाम रंगी नेटिव शिव अद्भुत दिख रहे थे , शिव गणोके हाथो में त्रिशूल, तलवार , भाला , बरछी , लाठी को पीला धागा बंद घयमते हुवे , कसरत , दंडपट्ट , लाठी काठी खेल खेलते हुवे नेटिव हिन्दू धर्मी शिव गण ढोल , शिंग , डमरू शंख बजाते , सर पर सींग ताज , मोर मुकुट धारण कर पिले , नील , हरे , बाह्यरंगी वस्त्र आभूषण पहने सभी नर नारी , मस्ती ज़ूम ते हुवे बाराती पारवती के मइके पुँहचे थे।
इधर विदेशी वैदिक ब्रह्मिन धर्मी सभी ब्राह्मण वृन्द इस शादी से नाराज थे , घर में मातम छाया हुवा था। ना कोई तैयारी थी ना भोजन , पकवान पाक रहे थे। ना वैदिक रीति से शादी हुवी , ना आदर सत्कार , ना शादी भोज।
नेटिव भगवन शिव बहुत ही क्रोधित हुवे , बाराती और उनका अनादर , अपमान , घोर अपमान हुवा !
केवल विदेशी ब्राह्मण कन्या पार्वती को लेकर नेटिव भगवन शिव बिना भोजन , शिव गणो के साथ दूसरे दिन सबेरे कैलाश पुँहचे और फिर वहां विविध व्यंजन पकाये गए , रस्ते में भूके बालको ने , महिला केवल शकरकंद आदि , कन्द , मूल खाकर चलते रहे।
ये शादी नहीं नेटिव हिन्दू धर्मी आदिवासी का घोर अपमान था जिसे लोग कभी नहीं भूले जो आज भी यद् है और आज भी शिवरात्रि पर्व उपवास कर दूसरे दिन सबेरे छोडो जाता है। इस रात को नेटिव लोग जागरण करते है , चिंतन मनन करते है।
सबेरे शिव - पारवती की शादी नेटिव हिन्दू धर्म रीति से अंतरपट दूर कर और वधु - वर माला का आदान प्रदान कर सहज सरल नेटिव हिन्दू धर्म पद्धति से की गयी।
इस गैर ब्राह्मण , ब्राह्मण मिलाफ ने जहा बहुत सारी दोनों धर्म की पुराणी परम्परा तोड़ी है वही , इसी कारण आगे बहुत भीषण यद्ध हुवे। विदेशी ब्रह्मिनो ने शिव पारवती के इन वैवाहिक सामांधोंको कभी मान्य नहीं किया , और आगे जब विदेशी ब्राह्मण पारवती के पिता के यहाँ विदेशी वैदिक ब्रह्मिन धर्म का बड़ा यज्ञ आयोजन किया गया और उसमे पारवती के पति शिव को नहीं बुलाया गया तो पारवती बहुत दुखु हुवी वो अपने पिता से इस का जवाब मांगे मइके गयी , और पिता का जवाब सुन कर दिखी हो कर उसने होम हवं के अग्नी में कूद कर अपनी जान देदी। इसका पुत्र जो शिव - पारवती से नैसर्गिक रीति से सामान्य बालक पैदा हुवा उसे , हाथी मुखी, वक्र तुण्ड यानि आड़े मुँहवाला , बड़े पेटवाला , दांत बहार निकला , लाल काला आदि नाम देकर घृणा और अपमानित किया गया।
पारवती ने जो होम हवन के अग्नि में कूद कर आत्म हत्या की थी उसके कई जले हुवे अवशेष लेकर भगवन शिव ने पुरे हिंदुस्तान में अनेक जगह इसकी याद में स्त्री शक्ति पीठ बनवाये जिम पर लोग हजारो सालो से जा कर पूजा अर्चना करते है।
होम हवन पर बंदी लगा दी गयी और उन्हें नेस्तनाबूत करते रहे , शिव गणो ने ये काम रामायण काल तक निरंतर करते रहे इस के प्रमाण रामायण में मिलते है।
प्रेम इस मानवीय महान भावना को नाकरने वाले विदेशी ब्राह्मण धर्मी लोगो को सबक सिखाते हुवे अनेक ब्राह्मण स्त्रियों से नेटिव हिन्दू पुरुषोंसे हिन्दू पद्धति से शादी कराई गयी , ब्रह्मिनो से पुरुष लिंग और स्त्री योनि के प्रतिक स्वरुप बने शिवलिंग की पूजा कराई गयी जिस पर स्त्री - पुरुष और निर्मिति प्रतीक त्रि दल , बिल्व पत्र से पूजा कराई गयी स्त्री पुरुष समागम शांति के लिए निरंतर भाव से लिंग पिंड पर जल अभिषेक किया जाने लगा
देश में नेटिव हिन्दू धर्म जो जाती , वर्ण , भेदभाव रहित है
नेटिविस्ट डी डी राउत
प्रचारक ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा
#नेटिविज़्म